हाँ, ये सच है, आज ईश्वर नहीं दिखता है
हाँ, ये सच है, आज ईश्वर नहीं दिखते हैं
हमें रात आसमां में तारे नहीं दिखते हैं।
हाँ, ये सच है आज भगवान महसूस नहीं होते
हमें खेतों में हरियाली नहीं छींटे खाद दिखते हैं।
खेतों में जलती पराली हवा में प्रभु की खुशबू नहीं देती।
हाँ, आज चमकीला सूरज और काला धब्बा जरूर दिखता है
ओजोन परत की बड़ी छेद और ग्लेशियर का पिघलना दिखता है
सागर में जाती नावें खतरों में जीवन की बहादुरी नहीं सिखाती।
पहले मरने- डूबने का खौफ था, आज हम खतरों को मार सकते हैं
पर आज खतरा ये है, हम खुद हीं खुद को भी मार सकते हैं।
पहले प्यार की आजादी नहीं थी, प्यार मार दिया जाता था।
आज प्यार की आजादी है पर आज हम प्यार को भी मार रहे हैं।
सौरभ कुमार